भारत ने अस्थगित किया इंडस जल संधि 1960

भारत ने इंडस जल संधि 1960 को किया अस्थगित: पाकिस्तान पर पड़ेगा बड़ा असर

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का कड़ा रुख

जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। सोमवार को हुए इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने धार्मिक पहचान पूछकर निशाना बनाया, जिससे देशभर में गुस्से की लहर दौड़ गई।

हमले के 48 घंटों के भीतर, भारत सरकार ने पाकिस्तान को कड़ा जवाब देते हुए “इंडस वाटर ट्रीटी 1960 (Indus Waters Treaty)” को अस्थगित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान को औपचारिक रूप से भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है।

क्या है इंडस जल संधि 1960 और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

इंडस जल संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसके तहत दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल का बंटवारा तय किया गया था।

संधि के प्रमुख बिंदु:

  • भारत को पूर्वी नदियाँ: सतलुज, ब्यास, रावी
  • पाकिस्तान को पश्चिमी नदियाँ: सिंधु, झेलम, चिनाब

हालांकि, भारत को पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग (जैसे सिंचाई, पनबिजली) की अनुमति थी, लेकिन बहाव का अधिकार पाकिस्तान को दिया गया था। यह संधि पिछले 65 वर्षों से दोनों देशों के बीच जल विवादों को शांत रखे हुए थी, चाहे अन्य क्षेत्रों में रिश्ते कैसे भी रहे हों।

भारत ने अब इस संधि को अनुच्छेद XII (3) के तहत “Held in Abeyance” (अस्थगित) कर दिया है, जिसमें उल्लेख है कि जब तक दोनों पक्ष पुनः चर्चा और संशोधन न करें, तब तक संधि को प्रभावी नहीं माना जाएगा।

पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?

  1. कृषि संकट:
    पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि सिंधु नदी पर निर्भर करती है। यदि भारत नदियों के जल का अपने अधिकार क्षेत्र में अधिक उपयोग करता है, तो पाकिस्तान में सिंचाई संकट गहराएगा।
  2. बिजली आपूर्ति में गिरावट:
    सिंधु और झेलम नदियों पर पाकिस्तान ने कई जलविद्युत परियोजनाएं बनाई हैं। जल प्रवाह में कमी आने से बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
  3. शहरी जल संकट:
    इस्लामाबाद, लाहौर और कराची जैसे बड़े शहरों की पीने के पानी की आपूर्ति भी इन नदियों से होती है। संधि की अस्थगित स्थिति से आम जनता की जीवनशैली पर असर पड़ेगा।
  4. आर्थिक और राजनीतिक दबाव:
    जल संकट से फसल उत्पादन घटेगा, महंगाई बढ़ेगी और पाकिस्तान सरकार पर जनता का दबाव भी बढ़ सकता है।

भारत का संदेश: आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते

भारत सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि अब देश सिर्फ कूटनीतिक निंदा तक सीमित नहीं रहेगा। भारत ने बार-बार पाकिस्तान से संधि की शर्तों की समीक्षा के लिए आमंत्रण दिया, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इस बीच सीमा पार से लगातार आतंकी हमलों और जम्मू-कश्मीर में निर्दोष नागरिकों की हत्या ने भारत को यह निर्णय लेने पर मजबूर किया।

निष्कर्ष

भारत द्वारा इंडस जल संधि को अस्थगित करना सिर्फ एक जल कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। पाकिस्तान को अब यह समझना होगा कि आतंकवाद और सहयोग की नीति साथ नहीं चल सकती। यह फैसला पाकिस्तान के लिए आने वाले समय में कृषि, बिजली और जल संसाधन के क्षेत्र में गंभीर संकट खड़ा कर सकता है।

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